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अनकहे अधूरे ज़ज्बात प्यार का वो अनछुआ पहलु ...एक सौगात आपके नाम

गुरुवार, 25 मार्च 2010

वो है मेरा चाँद...

वो है मेरा चाँद...

वो रहा मेरा चाँद.....
चंचल सा  .....प्यारा सा  अनोखा  सा  अपना  सा.........

रोज़ रात  में आता  और मुझे  लुभाता   .......
मैं उसके प्यार की  चांदनी  में नहाती  और फिर  खुद  ही शर्माती  ........

उसका  एहसास मुझे मदहोश  कर जाता  ..............
वो  मुझे इस तरह तड़पाता................

और दूर से मेरा  चाँद मंद मंद मुस्काता....

वो रहा मेरा चाँद.....
मुझे छेरता और मैं चीढ़ जाती........
रूठ  जाती मैं  और  वो  मुझे मनाता...
 पास आती मैं  और  वो  दूर  चला  जाता...................

वो रहा मेरा चाँद................
मुझे निहारता हुआ...................
मुझे पुकारता  हुआ.....

मुहे सवारता हुआ........
वो रहा मेरा चाँद...........

..............2009.....आज के हालात....मुझसे दूर है मेरा चाँद......
वही तो है मेरा चाँद...............
हाँ बिलकुल सही वही तो है मेरा चाँद.................
जिसके न होने के एहसास ने मुझे करदिया है तनहा...............
वो है मेरा चाँद..................
जो अमावस की काली रात में मुझसे दूर हो गया है.....

.मुझे भी नहीं पता की इस रात के अँधेरे की गहराई कितनी है.....
पर इतना  हैं...यकीन......
वो है मेरा चाँद......................
छुपा बैठा है जो आज मुझसे पर...


वो है मेरा चाँद... 
.....................................सोनल जमुआर 


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