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अनकहे अधूरे ज़ज्बात प्यार का वो अनछुआ पहलु ...एक सौगात आपके नाम

गुरुवार, 25 मार्च 2010

कैसे बताऊ कैसे समझाऊ मैं तुम्हे



इस रात के अँधेरे ने  कितना दूर कर दिया है हमें...........
कैसे बताऊँ कैसे समझाऊ  मैं तुम्हे...............

शिकवा है न कोई शिकयत है तुमसे......
पर न जाने एक अजीब सी उल्फत है हमें......

तुम सायद हमें जान भी ना पाए......
हम सायद तुम्हे पहचान ही न पाए........

तुम्हारे होने का एहसास हर पल है हमें.....
कैसे बताऊ कैसे समझाऊ मैं तुम्हे.....

हालात ही कुछ ऐसे बन पड़े है......
पास आकर भी दूर हम खड़े है........

कितनी मोहब्बत है हमारे दिल में......
हम शायद बता भी ना पाएंगे तुम्हे.....

तुम्हारे होने का एहसास हर पल हर लम्हा....
बेचैन कर जाता है....कैसे बताऊँ...मुझे कितना तड़पाता है......

तुम हो मेरे पास....तुम येही कही हो....
मेरे साथ हो.....मेरे एहसास हो.....
मेरे जीने की वजह हो.....मेरे ज़ज्बात हो......
मेरे जिस्म जान  मेरे हालात  हो....
मेरे सुरों  का साज़ हो.....
मेरी धड़कन की आवाज़ हो.....

पर इस रात के अँधेरे ने कितना दूर कर दिया है हमें.......
अनकही बातें.... अधूरी बातें.......कैसे बताऊ कैसे समझाऊ मैं  तुम्हे 


-- .........................................................................................सोनल जमुआर 

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