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अनकहे अधूरे ज़ज्बात प्यार का वो अनछुआ पहलु ...एक सौगात आपके नाम

गुरुवार, 25 मार्च 2010

अजनबी कौन हो तुम .

Before My meeting....

12th Oct,2009...
I wrote this before I met "Him"...........

For That Special someone ...My real-life Hero!!

अजनबी कौन हो तुम ..................
क्यूँ बन गए हो मेरे अपने.... .....

कहाँ से आये हो .....तुम
क्या पूरे हो रहे है मेरे सपने .....

तुम अजनबी हो अनजान हो ...
पर ऐसा क्यूँ लगता है तुम मेरी पहचान हो ...
बोलो न तुम क्या चाहते हो ......
तुम अजनबी हो फिर भी मुझे हसांते हो  ...

एक पल में खुशियों से भर दी मेरी दुनिया ......
एक पल में ये कैसा जादू कर दिया ......

कहीं तुम कोई जादूगर तो नहीं ....
अजनबी हो कोई सपनो के सुदागर तो नहीं .....

तुम अजनबी हो फिर भी लगते हो जाने पहचाने से............
तुम अजनबी हो फिर भी मैं जी उठती हूँ तुम्हारे आने से .....
 अजनबी पास आकर मुझसे दूर ना जाना...............
हंसाकर मुझे मत रुलाना .................

मेरे बस मेरे हमेशा के लिए बन जाना .....
अजनबी .....तुम मेरे हो .....और मेरे ही हो जाना


.............................................सोनल जमुआर 

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