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अनकहे अधूरे ज़ज्बात प्यार का वो अनछुआ पहलु ...एक सौगात आपके नाम

मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

जागती रातें

आपकी अनकही अधूरी बातें .....
 जाने क्यूँ  आज मुझे फिर से याद आगयी .....

सपने जो पुरे हो ना सके ...
अपने जो अपने हो कर भी बेगाने हो चले ............
आप मेरी दुनिया से दूर ही भले ..........
पर .....
आप के होने का एहसास जाने क्यूँ आज फिर से ये बहती हुई हवा दिला गयी .....
आप के इंतजार के पल जाने क्यूँ आँखों को नम बना गयी .......................

आज ये अकेली रातें जाने क्यूँ दिल में एक टीस जागा गयी ........
.जाने क्यूँ आँखों से नींदे भी  चुरा ले गयी ..........

ये जागती रातें ये काली रातें और आपकी अधूरी बातें ...........
दिल में सोये हुए तूफ़ान को जगा गयी .............

तड़प उठा मन मेरा सहम उठा  मेरा जिया ....
आपकी बातें जो आज मुझे याद आगई ............
जागती रातें और आपकी बातें .........
अनकही अधूरी ...........
आप और आपकी बाहें ....
आप और आपकी निगाहें .......
बस आप की यादें ......................इन जागती रातों में ...........
बस आपकी बातें...................... इन जागती रातों में ........
दूरियों का एहसास........ ...........इन जागती रातों में .......
आपके आने का इंतजार ...........इन जागती रातों में ......
उलझनों से जूझते ये ज़ज्बात ....इन .जागती रातों में ..........
सांझी मैं अपने साजन   की ........इन जागती रातों में ....
तकती निगाहें दूर दूर तक इन जागती रातों में ....
ढूँढती करार दिल का... इन जागती रातों में .........
चाँद की आँख मिचोली... इन जागती रातों में .....
मैं अपने आप को खोती... इन जागती रातों में .....

आँखें एक पल भी ना सोती इन जागती रातों में ............
........................सोनल जमुआर
                          2:25Am
                           14th May

1 टिप्पणी:

  1. आप बहुत सुंदर लिखती हैं. भाव मन से उपजे मगर ये खूबसूरत बिम्ब सिर्फ आपके खजाने में ही हैं

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