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अनकहे अधूरे ज़ज्बात प्यार का वो अनछुआ पहलु ...एक सौगात आपके नाम

शुक्रवार, 1 अप्रैल 2011

कहा था तुमने

कहा था तुमने बेहद खूबसूरत है हमारी  आँखें ..
लगा करती थी  प्यारी तुम्हे हमारी  सारी बातें ....

सुनहरे सपने दिखाये तुमने 
लाखों अरमान सजाये हमने 

उन लम्हों का हिसाब क्या दे हम तुम्हे जो तुमाहरी  इबादत में बिताये हमने ....
हर पल बस ये दुआ रही होठों पे की  सारी कायनात की खुशियाँ मिल जाए तुम्हे ...

भर आती है आज भी ये आंखें जब तुम्हारे सितम याद आये हमें
तेरी नजदीकियों का एहसास आज भी तडपाये  हमें
वो बीते पल आज भी तनहा कर जाए हमें .......
कहा था तुमने की इस सफ़र में हमदम.. हमकदम है हम ...
आज मजबूर और अकेले ...तुमसे  क्यूँ दूर है हम ?..............
---------------------------------------------सोनल जमुआर
                                                                      1stApril 2011
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