.


अनकहे अधूरे ज़ज्बात प्यार का वो अनछुआ पहलु ...एक सौगात आपके नाम

गुरुवार, 31 मार्च 2011

वो पास हमारे आये तो क्या बात है.....



वो पास हमारे आये तो क्या बात है .......
वो हमें चाहे तो क्या बात है ..
अधूरे किस्से - पूरे हो जाए  तो क्या बात है ...
सुलगते ज़ज्बातों  को जुबान  मिल जाए     तो क्या बात है .
बदले बदले से   ये हालात  हो  जाए  तो क्या बात है ..
वो पास हमारे आये तो क्या बात है ..........


उनकी  पनाहों में उम्र गुज़र जाए तो क्या बात है ..
उनकी बाहों में दम निकल जाए तो क्या बात है 
.

चैन हमारे बेचैन दिल को मिल जाए तो क्या बात है ..
कितनी सिद्दत से हमने की है मोहब्बत    ये बात उन तक कोई पहुंचाए तो क्या बात है ..
झूठा शक ,झूठे इलज़ाम बंद हो  जाए तो क्या बात है ..
पंख लगे हैं इन ख्वाबो को इनकी उड़ान तय हो जाए तो क्या बात है ...........
लम्हा लम्हा उनकी दूरियों का एहसास दिल दुखा जाता है हमारा ,ये बात उनको समझ में आये तो क्या बात है ...
वो भी हमें चाहए तो क्या बात है ..
वो पास हमारे आये तो क्या बात है.....

अरमान दिल के पूरे हो जाए तो क्या बात है .. .....
उनसे अधूरी मुलाक़ात  है .......
याद हमे आज भी वो रात है ...
पर अब ना तो  वो हमारे  साथ है , और ना  ही उनको ये एहसास है  
जैसे अमावस की लम्बी  काली रात है 
और चाँद   का बेसब्री से इंतज़ार है ..
अधूरेपन की खटक अकेलेपन की चुभन ...
खामोश आँखें... उनमे छुपी एक   फ़रियाद है ...
.............................                                          सोनल जमुआर 
                             

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें