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अनकहे अधूरे ज़ज्बात प्यार का वो अनछुआ पहलु ...एक सौगात आपके नाम

शनिवार, 11 दिसंबर 2010

बेखबर हो तुम हम ये भी हैं जानते .

रात की सर्द हवा ने एक पैगाम भेजा है ...
मेरे इस अधूरे रिश्ते का एक नाम भेजा हैं ....

अश्कों से भीगी पलके उठती झुकती  रहती हैं ...
चाँद की मध्हम चांदनी भी चुभती हैं 
आज फिर रात की सर्द हवा ने एक पैगमा भेजा है 
मेरे इस अधूरे रिश्ते का एक नाम भेजा है ....
प्यार के इस खेल का अंजाम पता तो नही है हमें ..
पर तुम्हारे हर लफ्ज़ की कडवाहट ने सजा सी दी हैं हमें
हर पल की वो तड़प हर पल का वो दर्द
आँखों में अश्को का वो समुन्दर और दिल में वो तुम्हारे दिए हुए ज़ख्म
भरे नहीं है अभी भी....पर बेबस हैं हम अपने अरमानो के सामने ...
बेखबर  हो तुम हम ये भी हैं जानते .....
बस .........

क्या करे मन में तू ही तू जो  समाया है 
ऐसा लगता हैं तुमने हमसे क्या खूब रिश्ता निभाया है ...
जब साथ चाहा हमने तब तुमने  हमें ठुकराया हैं ..........
राहें जब थी अकेली तनहा भीड़ में जब खो जाते हम 
साथ तब ही छोड़ा तुमने प्यार की क्या थी झूठी वो कसम ?
कभी ऐसा लगता है क्या खोया और क्या पाया है ?
साथ तेरा भी नहीं है  ना ही साथ मेरा साया हैं !
प्यार का क्या खूब मजाक उड़ाया हैं....

अधूरे रिश्ते ने भी  क्या नाम पाया हैं ...........
सर्द हवाओं ने जो पैगाम भेजवाया हैं ...


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