मेरा दुःख सिर्फ मेरा है...
मैं ही नहीं भीड़ में तो तू भी अकेला है...
कभी कभी बस यूँही भर आती है आँखें मेरी...
कभी कभी बस यूँही याद आजाती है तेरी...
कभी कभी होता है यूँ भी...
तू आजाता है पास मेरे हवा के झोंके की तरह...
करा जाता है एहसास अपने न होने का...
वो लम्हे वो पल पल जो बीताये मैंने तेरे संग...
आँखों के सामने हर मंज़र छा जाता है...
हंसाते हंसाते मुझे रुला जाता है....
बेहेक न जाऊ कहीं मैं.....
कहीं तुम्हे पाने की जिद्द न कर बैठूं............
येही सोच तुमसे दूर हूँ ....
हर तरह से मजबूर हूँ...
मेरे इस दर्द में कोई नहीं है साथ मेरे....
आन्सुऊ के सिवा कुछ भी तो नहीं है पास मेरे ....
मेरा दुःख सिर्फ मेरा है.....
मैं ही नहीं भीड़ में तो तू भी अकेला है...
.............................सोनल जमुआर
मैं ही नहीं भीड़ में तो तू भी अकेला है...
कभी कभी बस यूँही भर आती है आँखें मेरी...
कभी कभी बस यूँही याद आजाती है तेरी...
कभी कभी होता है यूँ भी...
तू आजाता है पास मेरे हवा के झोंके की तरह...
करा जाता है एहसास अपने न होने का...
वो लम्हे वो पल पल जो बीताये मैंने तेरे संग...
आँखों के सामने हर मंज़र छा जाता है...
हंसाते हंसाते मुझे रुला जाता है....
बेहेक न जाऊ कहीं मैं.....
कहीं तुम्हे पाने की जिद्द न कर बैठूं............
येही सोच तुमसे दूर हूँ ....
हर तरह से मजबूर हूँ...
मेरे इस दर्द में कोई नहीं है साथ मेरे....
आन्सुऊ के सिवा कुछ भी तो नहीं है पास मेरे ....
मेरा दुःख सिर्फ मेरा है.....
मैं ही नहीं भीड़ में तो तू भी अकेला है...
.............................सोनल जमुआर
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