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अनकहे अधूरे ज़ज्बात प्यार का वो अनछुआ पहलु ...एक सौगात आपके नाम

मंगलवार, 20 जुलाई 2010

मेरी बेखुदियाँ

शामे शबे निसार मेरी बेखुदियाँ ...
करती तेरा इंतज़ार मेरी तन्हाइयां

सिमट गयी तेरी बाहों में मेरी  पूरी दुनिया
तेरे छूने से हुई गुलज़ार मेरे होठों की पंखुड़ियां ..
बहेद खूबसूरत थी तेरे संग बीताई गयी वो घड़ियाँ ...
हर एक आरज़ू  हर एक जुस्तुजू  मुकम्मल हो चली बन गयी  यादों की लड़ियाँ ...
बिखर गयी रौशनी और चांदनी मद्धम मध्हम सी भीनी भीनी चारो तरफ से मिली मुझे ऐसी खुशियाँ
रुख पे  रुखसार की वजह तू 
मेरे सुरमय आंचाल में छुपा वो चाँद भी तू
 मेरे ख्यालों में तेरे कुर्ब की खुशबूं रूबरू
  मेहेकी हुई सी मेरी साँसे मेरे हर फ़साने में तेरा ही जादू ....
 बोझिल सी पलकों की छईयां तू
तूफ़ान में कश्ती का साहिल तू ..
मेरी हर तमन्ना हर आरजू का हासिल तू ...

एक एक कर जुड़ क्गायी है तुझसे हर कड़ियाँ
शामे शबे निसार मेरी बेखुदियाँ
करती तेरा इंतज़ार मेरी तन्हाइयां ......

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