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अनकहे अधूरे ज़ज्बात प्यार का वो अनछुआ पहलु ...एक सौगात आपके नाम

गुरुवार, 25 मार्च 2010

पंख होते तो उड़ जाती मैं ...

पंख होते तो उड़ जाती  मैं ....
दूर गगन में ....
खुले चमन में सारे बंधनों  को तोड़ जाती मैं .......

पंख होते तो उड़ जाती मैं .....
ऊपर आकाश में लहराती मैं ....
नीले अम्बर को चीरती .....उंची लहरों को पार करती मैं ....
बड़े समुन्दर देख आती मैं .........

दूर सुदूर देश का हाल सुनाती मैं .......
पंख होते तो उड़ जाती मैं .............

विशाल पर्वतों  की सफ़ेद चादरों को देख आती मैं ....
पंख होते तो उड़ जाती मैं.........

अपनी कल्पानो में ऊपर नभ पे उन्मुक्त लहलहाती मैं ....
पंख होते तो उड़ जाती मैं ......

चाँद की चाँदनी में नहाती मैं .......
ऊँचे पेड़ो पर अपना घर बनाती मैं ....
पंख होते तो उड़ जाती मैं ........
...............................सोनल जमुआर .

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